बिहारी छात्रों का कमाल, लिथियम बैट्री से चलाया ई-रिक्शा

ऐसे तो ई-रिक्शा पर्यावरण का साथी बताया जाता है, लेकिन इसके परिचालन में उपयोगी बैट्री लेड से बनी होती है। लेड पर्यावरण के साथ ही मानव के लिए भी हितकर नहीं।

पटना स्थित नवीन पॉलीटेक्निक के विद्यार्थियों ने इसका समाधान निकाल लिया है। वे लिथियम बैट्री से ई-रिक्शा चलाने में कामयाब रहे हैं। यह पर्यावरण के लिए हितकर होने के साथ ही कम खर्चीला है। लिथियम बैट्री को ई-रिक्शा की छत पर सौर ऊर्जा प्लेट से जोड़कर चार्ज करने के लिए लगाया जाता है। यह बैट्री को निरंतर चार्ज करता है। राजकीय नवीन पॉलीटेक्निक पटना-13 की ऑटोमोबाइल ब्रांच के पप्पू कुमार, शशि कांत, अमन, पिंटू, विपिन आदि के सहयोग से यह प्रयोग सफल रहा है।

संस्थान के प्राचार्य ने बताया कि ई-रिक्शा में बैट्री व सोलर प्लेट इंस्टॉल करने में लगभग 40 हजार रुपये खर्च आया है। सामान्य बैट्री में भी लगभग 20 हजार आता है। लिथियम बैट्री चार वर्षो तक बिना किसी परेशानी के चलती है। सामान्य बैट्री एक साल में ही खराब हो जाती है। इसके रिसाइकिल करने से नुकसान होता हैं, जबकि लिथियम में कोई नुकसान नहीं है।

मनुष्य के लिए खतरनाक है लेड : लेड मानव के लिए काफी खतरनाक है। इसकी मानक मात्र 400 पीपीएम से अधिक होने पर यह उस इलाके में रहने वाले बच्चों एवं महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करता है।

गर्भपात से लेकर किडनी तक कर सकता है खराब : गर्भवती महिलाओं का गर्भपात, बच्चों के दिमाग का विकास रुकना, महिलाओं व बच्चों की याददाश्त कमजोर होना आदि समस्याएं होती हैं। यदि यह रक्त में प्रवेश कर जाए तो किडनी भी खराब कर देता है। लिथियम बैट्री से मानव जाति को नुकसान नहीं होगा। यह पर्यावरण मित्र के तौर पर है। इसको बढ़ावा मिलने से पर्यावरण संरक्षण भी होगा।

Article Source ~ L.B 


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