10 दिन में 50 गाय की मौत, प्रशासन से लेकर गौ रक्षको ने साधी चुप्पी
(Mohit Pandit) पूर्णिया/ स्पेशल रिपोर्ट :
गाय सोने की अंडा देने वाला मुर्गी की तरह है। आजकल जितना फायदा नेताओ को गाय के जीते जी नही होता उतना मरने के बाद होता है। देश मे गौ रक्षा के नाम पर राजनीति से लेकर हत्याएं तक हो रही है। फेसबुक व्हाटसप पर तथाकथित लोग फोटो से लेकर एक से एक फिलॉस्फर वाले पोस्ट कर रहे है। मगर क्या इन सबो से इन्हें कोई सरोकार है? नही.....
इसलिय तो किशनगंज जिले में 10 दिनों में 50 गाय की मौत हो गई मगर किसी संगठन ने एक आवाज भी नही उठाई। गाय की यह मौते किशनगंज की गौशाला में हुई है। समुचित देख रेख और खाना न मिलने से दस दिनों के अंदर तड़प तड़प कर पचास गाय की मौत हो गई। क्यों इतने बड़े पैमाने पर गाय की मौत हुई इसकी फिकर न जिला प्रसाशन को है न ही किसी हिंदूवादी संगठनों को। हालांकि जिला प्रशासन ने अपनी देख रेख में सभी गाय को गड्डा खोदकर दफना दिया है। किशनगंज में ढाई सौ एकड़ में फैला भूतनाथ गौशाला आज खुद राजनीति का शिकार हो गया है। बांग्लादेश और नेपाल की सीमा से लगने वाला यह जिला पशु तस्करी के लिए कुख्यात है। प्रशासन और एसएसबी तस्करी की जितनी भी गाय पकड़ती है इसी भूतनाथ गौशाला में रखती है। जहाँ न कोई चारा की व्यवस्था होती है न पीने की पानी की। जिस वजह से इस से पूर्व पाँच दस करके सैकड़ो पशुओ की मौत हो चुकी है। मगर सिर्फ जून माह में दस दिनों के अंदर पचास गाय की मौत से लोगों में आक्रोश है। गौशाला की जमीन को भी गौ रक्षको ने अपने निजी फायदे के लिए चाय पत्ती बागान के लिए दे दिया है।
पशुओं की मौत पर एसडीएम मो. शफीक गौशाला पहुंच कर जायजा लिया और मवेशियों के लिए शेड बनाने को लेकर गौशाला मैनेजर व कॉन्ट्रेक्टर से बात कर जल्द से जल्द कार्य करने का निर्देश दिया। अभी वर्तमान में 207 मवेशी है जो अपने मौत का इंतज़ार कर रही है।