लालू यादव की रिक्शा चालक से 100 करोड़ की सम्पत्ति के मालिक बनने तक की कहानी

राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव आज चाहे करोड़ों रुपए के घोटाले आदि के इल्ज़ाम के साथ जी रहे है । परन्तु कभी ऐसा भी था जब लालू प्रसाद यादव को अपनी पढ़ाई और घर चलाने के लिए रिक्शा चलना पड़ता था । अपने राजनीतिक करियर के चमकने तक उन्हें हमेशा संघर्ष करते रहना पड़ा ।
               शुरू के दिनों में अपने गाँव के ही स्कूल में पढ़ाई की । वहां भी उन्हें फ़ीस देने के पैसे नहीं होते थे तो फ़ीस की जगह गुड़ चावल आदि दे देते थे । बाद में अपने एक रिश्तेदार के कहने पर भाई के साथ पटना आ गए । वहाँ भी स्कूल में पढ़ने के लिए कभी रिक्शा चलाया तो कभी चाय आदि के दुकानों पर काम किया । फ़िर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस से बीए किए । कॉलेज की पढ़ाई के लिए स्टूडेंट फंड से मदद मिल गयी । उसी समय वह यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में हिस्सा लिए और संघ के महासचिव बन गए । इसके बाद अपने मित्रों के कहने पर एलएलबी में एडमिशन ले लिए साथ ही वेटनरी कॉलेज में क्लर्क का काम भी करने लगे । क्लर्क का काम कर कुछ रुपया बचाया और अपनी शादी में खर्च की । सन् 1974 में संपूर्ण क्रांति छिड़ गया । लालू प्रसाद ने उसमें कूद पड़े । इसके बाद ही वह एक नेता के रूप में स्थापित हुए । 1977 की चुनाव में लालू सांसद बने । तब से अब तक सक्रिय है ।


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